साउंड डिजाइनर (Sound Designer) तथा साउंड इंजीनियर (Sound Engineer) आवाज को कर्णप्रिय बनाने के लिए ढेरों जटिल विद्युतीय उपकरणों को संचालित करते हैं...
ध्वनि संचार
(Sound Communication) का एक प्रमुख साधन है। जब हम फिल्म (Film), रेडियो (Radio) अथवा टेलीविजन (TV)
पर प्रस्तुतकर्ताओं की आवाज सुनते हैं या अपने मनपसंद गीत सुनते हैं तो
हमेशा यह सोचते हैं कि यह आवाज कैसे आ रही है। आवाज की दुनिया हमें हमेशा
एक ऐसी दुनिया में ले जाती है, जहां हमारी कल्पनाएं साकार रूप में हमारे
सामने होती हैं। कल्पना कीजिए कि आप टेलीविजन देख रहे हैं और आपने साउंड
बटन बंद (Mute) करके रखा है तब बिना आवाज के चित्रों को देखना आपको क्षणभर
भी अच्छा नहीं लगेगा। ऐसी स्थिति में हम एक साउंड डिजाइनर तथा साउंड
इंजीनियर की अहमियत भली-भांति समझ सकते हैं। साउंड डिजाइनर तथा साउंड
इंजीनियर आवाज को कर्णप्रिय बनाने के लिए ढेरों जटिल विद्युतीय उपकरणों को
संचालित करते हैं। इसके अलावा किसी भी रेडियो या टेलीविजन चैनल तथा वेबसाइट (Website)
के प्रमोशन (Promotions) के लिए भी एक अलग तरह की साउंड भी इनके द्वारा ही उत्पन्न किया
जाता है।
क्या है साउंड डिजाइनिंग और इंजीनियरिंग (What is Sound Designing and Engineer)
साउंड
डिजाइनिंग तथा साउंड इंजीनियरिंग को अंतर-विषयक क्षेत्र माना जाता है जो
ऑडियो टेक्नोलॉजी (Audio Technology), सॉफ्टवेयर एप्लीकेशन (Software Technology), संगीत कला (Musial Art), इंजीनियरिंग और
सृजनात्मकता से संबद्ध होता है। जहां साउंड डिजाइनिंग के अंतर्गत
सृजनात्मकता को ज्यादा महत्व दिया जाता है वहीं साउंड इंजीनियरिंग में
तकनीक एवं प्रौद्योगिकी पर विशेष फोकस रहता है। गौरतलब है कि मीडिया तथा
मनोरंजन उद्योग अर्थात् फिल्म और टेलीविजन उद्योग, संगीत एल्बम उद्योग,
प्रसारण नेटवर्क, एनिमेशन (Animation), वीडियो गेम विकास (Video Game Development), रेडियो और थिएटर्स (Theaters) आदि में
साउंड डिजाइनर्स और इंजीनियरों की बहुत भारी मांग है। साउंड डिजाइनिंग तथा
साउंड इंजीनियरिंग से जुड़े प्रोफेशनल्स को इस उद्योग में विभिन्न पदनाम
दिए जाते हैं, जैसे कि प्रसारण इंजीनियर, तकनीकी प्रभारी, थिएटर साउंड
निर्देशक, ऑडियो इंजीनियर, प्रसारण कार्यकारी, सीडी और डीवीडी मास्टरिंग
इंजीनियर, मिक्सिंग इंजीनियर और साउंड एडिटर।
क्या है जरूरी योग्यता (Eligibility)
एक
अच्छा साउंड डिजाइनर एवं इंजीनियर बनने हेतु आपका संगीत के प्रति रुझान
होना बहुत जरूरी है। अगर आपको संगीत का कोई साज बजाना भी आता है तो यह सोने
पे सुहागे के समान है। अगर आप अलग-अलग प्रकार के साउंड को पहचानने की
क्षमता रखते हैं और इलेक्ट्रॉनिक्स का भी आपको अच्छा खासा ज्ञान है तो
निश्चित रूप से आपको इस क्षेत्र में कॅरियर बनाने के लिए आगे बढ़ना चाहिए।
इस क्षेत्र में करियर बनाने के लिए आप में अच्छी संप्रेषण क्षमता तथा काफी
लंबे समय तक तनाव में काम करने की योग्यता होना बहुत जरूरी है।
जॉब प्रोफाइल (Job Profile)
गौरतलब है कि साउंड डिजाइनर एक सृजनात्मक व्यक्ति होता है जो कि
फिल्मों, टेलीविजन, वीडियो गेम्स, ऑनलाइन मीडिया, विज्ञापन, एनिमेशन, संगीत
एल्बम, रेडियो और थिएटर जैसे विभिन्न संचार माध्यमों के लिए साउंड
डिजाइनिंग और रिकार्डिंग का कार्य करता है। इन सभी मीडिया उत्पादों में
साउंड संबंधी संपूर्ण कार्यों के संबंध में साउंड डिजाइनर की सुनिश्चित
करने की जिम्मेदारी होती है कि श्रोताओं, दर्शकों अथवा उपयोगकर्ताओं को एक
संवेदनात्मक अनुभव प्राप्त हो। इस तरह वे एक सृजनात्मक तरीके से संगीत को
रिकार्ड करते हैं, साउंड इफेक्ट्स सृजित करते हैं, उनका संपादन करते हैं,
आकर्षण बढ़ाने के लिए उत्तेजना को जोड़ते अथवा हटाते हैं। किसी भी मीडिया
उत्पाद के प्रति एक विचारशील, वास्तविक, आकर्षण और दिलचस्पी का अनुभव साउंड
डिजाइनर के दूरदर्शी इनपुट्स से आता है। एक साउंड डिजाइनर के तौर पर आपका
प्रमुख कार्य स्थान साउंड स्टूडियो होता है जहां आप कम्प्यूटरों, विभिन्न
सॉफ्टवेयर और कई बार प्राकृतिक वस्तुओं का प्रयोग करते हुए विभिन्न
ध्वनियों का सृजन करते हैं।
क्या होता है कार्यक्षेत्र (Work Profile)
यदि
आप अपने साउंड वातावरण के प्रति अत्यधिक संवेदनशील हैं, संगीत से प्रेम
करते हैं, संगीत की धुनों को गुनगुनाते हैं और उच्च स्तरीय सृजनात्मकता
रखते हैं तो आप साउंड डिजाइनर बन सकते हैं। साउंड डिजाइनर संगीत एल्बम को
साउंड का स्वरूप प्रदान करते हैं। साउंड स्टूडियो में विभिन्न तकनीकों की
मदद से रिकार्डिंग, मिश्रण और संपादन का काम साउंड डिजाइनर तथा साउंड
इंजीनियर मिलकर करते हैं और विभिन्न माइक्रोफोनों के स्तर और विकल्प
निर्धारित करते हैं। साउंड डिजाइनरों तथा इंजीनियरों के पास एनालॉग करने के
साथ-साथ डिजिटल मल्टी ट्रैक रिकार्डिंग में पूरी विशेषज्ञता होती है। वे
हाथों में ली गई परियोजना का विजन हासिल करने की बात सुनिश्चित करने के लिए
अन्य क्रिएटिव प्रमुखों के साथ बैठकें भी करते हैं। वे विभिन्न लोगों के
साथ टीम के माहौल में काम करते हैं जिनमें निर्देशक, कंपोजर, संगीतकार,
कलाकार, साउंड तकनीशियन, रिकार्डिंग तकनीशियन और प्रोड्यूसर्स शामिल होते
हैं। वे ज्यादातर स्वतंत्र तौर पर काम करने वाले होते हैं परन्तु फिल्म,
टेलीविजन, एनिमेशन, वीडियो गेम्स, थिएटर्स और संगीत उद्योग जैसे विभिन्न
क्षेत्रों में नियुक्त भी किए जाते हैं।
विचारणीय
प्रश्न यह है कि इस बात का मूल्यांकन किस प्रकार किया जाए कि आपके भीतर एक
अच्छा साउंड डिजाइनर अथवा बनने की सही प्रतिभा और ज्ञान है ? साउंड के
प्रति रुचि रखने के अलावा साउंड डिजाइनर साउंड इंजीनियर बनने के लिए
उम्मीदवार में निम्नलिखित खूबियां होनी भी जरूरी हैं-
- तनावमुक्त व्यक्तित्व और रीटेक्स के लिए बहुत धैर्य होना चाहिए।
- व्यवहारिकता, अभिनवता और मजबूत आविष्कारशीलता होनी जरूरी है।
- विभिन्न किस्मों के संगीत-साउंड के लिए उमंग और बहुत ही संवेदनशील कान हों।
- संगीत की पिच, लय, गति, चाल और धुनों की समझ हो।
- साउंड उद्योग में इस्तेमाल होने वाले उपकरणों से जुड़ी प्रौद्योगिकी के प्रति रूझान और उपकरणों पर कमांड होनी चाहिए।
- नियत समयावधि में कार्य करने की योग्यता होनी चािहए।
- टीम भावना और अच्छा संप्रेषण कौशल होनी चािहए।
साउंड
डिजाइनिंग एक सृजनात्मक कला है जो कि एक विशिष्ट तरीके से उपयुक्त
ध्वनियों का निर्माण करती है। यह कहा जाता है कि कान आपको भीतर तक ले जाते
हैं और आपकी आँखें बाहर की दुनिया से रूबरू कराती हैं। संगीत आपके संपूर्ण
ध्यान पर कब्जा कर लेता है और आपको काल्पनिक दुनिया में ले जाता है। यह इस
बात पर निर्भर करता है कि आप इस शक्तिशाली माध्यम का अपेक्षित परिणाम हासिल
करने में किस प्रकार इस्तेमाल करते हैं। लेकिन एक बात जरूर है कि आपको
साउंड डिजाइन में इस्तेमाल होने वाले सॉफ्टवेयर और टूल्स के बारे में अच्छा
ज्ञान और संचालन की सक्षमता होनी चाहिए। गौरतलब है कि साउंड डिजाइनर एवं
इंजीनियर साउंड रिकॉर्ड करने के लिए एक कंसोल बोर्ड का इस्तेमाल करते हैं।
फिर कई तरह के रिकॉर्डिंग उपकरणों की मदद से म्यूजिक को कॉपी, एडिट व वॉयस
देते हैं। इच्छा के मुताबिक साउंड के लिए साउंड डिजाइनर एवं इंजीनियर
रिकॉर्डिंग लेवल, वॉल्यूम और टोन क्वालिटी को एडजेस्ट करते हैं। जब लाइव
टेलीकास्ट हो रहा होता है तो न सिर्फ ये म्यूजिक की मिक्सिंग व एडिटिंग
करते हैं बल्कि कंसोल बोर्ड की सहायता से वॉयस की भी मिक्सिंग करते हैं। ये
म्यूजिशियन से रिकॉर्डिंग सेशन से पहले मंत्रणा कर लेते हैं ताकि किस तरह
की साउंड व इमोशन चाहिए वह रिकार्डिंग के दौरान भली-भांति आ जाए।
कैसे करें एंट्री (How to take Admission)
साउंड
की दुनिया में मीडिया और मनोरंजन जगत में रोजगार के ढेरों विकल्प मौजूद
हैं। मास मीडिया अथवा जन संचार में स्नातक और स्नातकोत्तर ही विशेष रूप से
इंटर्न के तौर पर इस व्यवसाय से जुड़ते हैं जो वरिष्ठ पेशेवरों को रिहर्सल,
ड्राई रन और स्थिति की मांग के अनुरूप स्टूडियो का माहौल तैयार करने में
सहायता करते हैं। समय बीतने के साथ-साथ वे शुद्धता, दक्षता और संसाधनपूर्ण
ढंग से रिकार्डिंग करना सीख जाते हैं।
रोजाना
नए खुलते टेलीविजन चैनलों व उनके अनगिनत शो के लिए साउंड डिजाइनरों तथा
साउंड इंजीनियरों की दरकार रहती है। इसके अलावा एक साउंड डिजाइनर तथा साउंड
इंजीनियर की स्ट्रडियो रिकॉर्डिंग, रेडियो चैनल, फिल्म के लिए भी डिमांड
होती है। इंटरटेनमेंट इंडस्ट्री के बूम के चलते आज साउंड डिजाइनिंग एवं
इंजीनियरिंग के क्षेत्र में रोजगार की उजली संभावनाएँ हैं। स्थिति यह है कि
साउंड डिजाइनरों एवं इंजीनियरों की जितनी जरूरत है उतनी पूर्ति भी नहीं हो
रही है। ऐसे में अगर आपने साउंड डिजाइनिंग तथा साउंड इंजीनियरिंग जन संचार में स्नातक और स्नातकोत्तर ही विशेष
रूप से इंटर्न के तौर पर इस व्यवसाय से जुड़ते हैं जो वरिष्ठ पेशेवरों को
रिहर्सल, ड्राई रन और स्थिति की मांग के अनुरूप स्टूडियो का माहौल तैयार
करने में सहायता करते हैं।
कैसे बढ़े आगे
कुछेक
विशिष्ट डिग्रियां, स्नातकोत्तर डिप्लोमा प्रमाणपत्र पाठ्यक्रम और
डिप्लोमा पाठ्यक्रम साउंड डिजाइनिंग तथा साउंड इंजीनियरिंग के कौशल की मांग
को पूरा करते हैं। देश में कई प्रतिष्ठित संस्थान हंै जो ऑडियो तथा साउंड
इंजीनियरिंग के ग्रेजुएट व पोस्ट ग्रेजुएट तथा डिप्लोमा कोर्स करवाते हैं। द
फिल्म ऐंड टेलीविजन इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया, पुणे तथा सत्यजीत रॉय फिल्म
एंड टेलीविजन इंस्टीट्यूट, कोलकाता देश के दो प्रमुख इंस्टीट्यूट हैं। इन
दोनों संस्थानों में उपलब्ध साउंड डिजाइनिंग एवं इंजीनियरिंग के पाठ्यक्रम
तकनीकी रूप से विश्व के किसी भी साउंड इंजीनियरिंग कोर्स से बहुत आगे हैं।
प्रमुख संस्थान तथा उनमें उपलब्ध कोर्स
भारतीय
फिल्म एवं टेलीविजन संस्थान (एफटीटीआई), पुणे, जो कि सूचना एवं प्रसारण
मंत्रालय, भारत सरकार के अधीन ही एक संस्थान है, दो पाठ्यक्रम संचालित कर
रहा है। 1. साउंड रिकार्डिंग और टीवी इंजीनियरिंग में एक वर्षीय
स्नातकोत्तर प्रमाणपत्र पाठ्यक्रम। 2. साउंड रिकार्डिंग और साउंड डिजाइन
में तीन वर्षीय स्नातकोत्तर डिप्लोमा पाठ्यक्रम।
संपादन
और ऑडियोग्राफी अर्थात साउंड रिकार्डिंग में विशेषज्ञता के साथ सिनेमा में
स्नातकोत्तर डिप्लोमा कोर्स सत्यजीत रे फिल्म एवं टेलीविजन संस्थान,
कोलकाता द्वारा संचालित किया जाता है। यह संस्थान सूचना और प्रसारण
मंत्रालय के अधीन है। इस कोर्स में प्रवेश हेतु स्नातक परीक्षा फिजिक्स
विषय के साथ उत्तीर्ण होना आवश्यक है। शिक्षा का माध्यम अंग्रेजी है और
लिखित परीक्षा, ग्रुप डिस्कशन, अभिविन्यास सत्र और मौखिक चर्चा के आधार पर
संस्थान में प्रवेश प्रदान किया जाता है।
- संगीत विभाग, मुंबई विश्वविद्यालय साउंड रिकार्डिंग और रीप्रोडक्शन में छह माह का उन्नत प्रमाणपत्र पाठ्यक्रम संचालित करता है।
- भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान, खडगपुर मीडिया और साउंड इंजीनियरी में एम.टैक. संचालित कोर्स करने वाला प्रमुख संस्थान है जो कि दो वर्षीय स्नातकोत्तर डिग्री कार्यक्रम है।
- कालीकट विश्वविद्यालय, केरल ऑडियो इंजीनियरिंग में एक वर्षीय स्नातकोत्तर डिप्लोमा कराता है।
- बीजू पटनायक फिल्म एवं टेलीविजन संस्थान, कटक, ओडिशा द्वारा भी साउंड एवं टीवी इंजीनियरिंग में तीन वर्षीय डिप्लोमा संचालित किया जाता है।
- राजकीय फिल्म एवं टेलीविजन संस्थान, बंगलूरू साउंड रिकार्डिंग और इंजीनियरिंग में तीन वर्षीय डिप्लोमा संचालित करता है।
- नालंदा नृत्य कला महाविद्यालय, मुंबई भी साउंड रिकार्डिंग और रीप्रोडक्शन में तीन वर्षीय प्रमाणपत्र पाठ्यक्रम संचालित करता है।
- राष्ट्रीय दृष्टि विकलांग संस्थान, देहरादून, उत्तराखंड द्वारा भी एफएम प्रसारण और वॉयस रिकार्डिंग में चार माह का पूर्णकालिक प्रमाणपत्र पाठ्यक्रम संचालित किया जाता है।
- इंदिरा गांधी राष्ट्रीय मुक्त विश्वविद्यालय इस क्षेत्र में दो कार्यक्रम संचालित करता है। 1. क्रिएटिव मीडिया आर्ट्स-डिजिटल साउंड में छह माह का प्रमाणपत्र पाठ्यक्रम। 2. ऑडियो कार्यक्रम निर्माण में एक वर्षीय स्नातकोत्तर डिप्लोमा पाठ्यक्रम।