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राष्‍ट्रीय विधिक सेवा प्राधिकरण (NALSA) का गठन विधि सेवा प्राधिकरण अधिनियम, 1987 के तहत कानूनी सहायता कार्यक्रमों के क्रियान्वयन की निगरानी एवं मूल्‍यांकन तथा कानूनी सहायता उपलब्‍ध कराने के लिए नीतियां और सिद्धांत बनाने के लिए किया गया। दरअसल भारतीय संविधान के अनुच्‍छेद 39 ए में गरीब और समाज के कमजोर तबकों को मुफ्त कानूनी सहायता उपलब्‍ध कराने का प्रावधान है ताकि सभी को इंसाफ मिले। संविधान के अनुच्‍छेद 14 और 22 (1) राज्‍य के लिए यह सुनिश्‍चित करना अनिवार्य बनाते हैं कि वह कानून और कानूनी तंत्र के समक्ष समानता सुनिश्‍चत करे, क्‍योंकि कानूनी तंत्र सभी के लिए समानता के आधार पर  इंसाफ को बढ़ावा देता है। सन् 1987 में संसद ने कानूनी सेवा प्राधिकरण अधिनियम बनाया जो 9 नवंबर, 1995 को प्रभाव में आ गया। इस कानून का उद्देश्‍य समानता के आधार पर समाज के कमजोर तबकों को मुफ्त और समर्थ कानूनी सेवाएं उपलब्‍ध कराने के लिए राष्‍ट्रीय समान नेटवर्क की स्‍थापना करना था।

     हर राज्‍य में राज्‍य विधिक सेवा प्राधिकरण तथा हर उच्‍च न्‍यायालय में उच्‍च न्‍यायालय विधिक सेवा समिति गठित की गयीं। एनएएलएसए की नीतियों को प्रभावी बनाने, उसे दिशा देने, लोगों को मुफ्त कानूनी सेवा प्रदान करने तथा राज्‍यों में लोक अदालतें चलाने के लिए जिलों और ज्‍यादातर तालुकों में क्रमश: जिला विधिक सेवा प्राधिकरण तथा तालुक विधिक सेवाएं समितियां गठित की गयीं।

     उच्‍चतम न्‍यायालय विधिक सेवा समिति कानूनी सेवा कार्यक्रम को लागू करने के लिए गठित की गयी क्‍योंकि यह भारतीय शीर्ष अदालत से संबद्ध है।

     एनएएलएसए ने राज्‍य विधिक सेवा प्राधिकरण के लिए नीतियां, सिद्धांत और दिशानिर्देश तय किए तथा उनके लिए प्रभावी एवं आर्थिक योजनाएं बनाईं ताकि  देशभर में कानूनी सेवाएं कार्यक्रम लागू हों।

     प्राथमिक रुप से राज्‍य कानूनी सेवा प्राधिकरण, जिला कानूनी सेवा प्राधिकरण, तालुक कानूनी सेवा समितियों से निम्‍नलिखित कार्य नियमित आधार पर करने को कहा गया-

1.     योग्‍य व्‍यक्‍तियों को मुफ्त एवं समर्थ कानूनी सेवा प्रदान करना।

1.

2.     विवादों के सौहार्दपूर्ण हल के लिए लोक अदालतों का आयोजन।

2.

3.     ग्रामीण क्षेत्रों में कानूनी जागरुकता शिविरों का आयोजन।



राज्‍य विधिक सेवा प्राधिकरणों ने 19-20 मार्च, 2011 को भुवनेश्‍वर में बैठक में जो गतिविधयां तय की थी उनके बारे में वित्‍तीय वर्ष 2011-2012 के दौरान राष्‍ट्रीय विधिक सेवा प्राधिकरण की अपनी कार्य योजना तथा कैलेंडर तैयार किया। वित्‍तीय वर्ष 2011-2012 के  लिए राष्‍ट्रीय कार्य योजना के मुख्‍य बिंदु इस प्रकार हैं-

Ø     मुफ्त, समर्थ, प्रभावी तथा समग्र कानूनी सेवा उपलब्‍ध कराना।

Ø

Ø     महिलाओं पर केंद्रित कानूनी सेवा।

Ø

Ø     बच्‍चों का कानूनी अधिकार- उनके लिए कानूनी सेवाएं बढ़ाना।

Ø     कानूनी सेवाओं में अर्द्ध कानूनी स्‍वयंसेवकों की भूमिका मजबूत करना।

Ø

Ø     गांवों में कम खर्च लेकिन प्रभावी तरीके से कानूनी सहायता क्‍लीनिकों की स्‍थापना।

Ø

Ø     असंगठित क्षेत्र के मजदूरों के लिए कानूनी सेवाएं।

Ø

Ø     पर्यावरण की सुरक्षा के लिए सामाजिक न्‍याय वाद का मार्ग प्रशस्‍त करना।

Ø

Ø     एसएलएसए के सदस्‍य सचिवों एवं जिला विधिक सेवा प्राधिकरणों के कार्यकर्ताओं को प्रशिक्षण देना।

Ø     विश्‍वविद्यालयों, विधि महाविद्यालयों एवं अन्‍य संस्‍थाओं में कानूनी सहायता क्‍लीनिकों की स्‍थापना।

Ø

Ø     स्‍कूल और कॉलेज के छात्रों के लिए कानूनी साक्षरता तथा कानूनी साक्षरता क्‍लब एवं कानूनी जागरुकता शिविरों का आयोजन।

Ø

Ø     संविधान के भाग चार ए के प्रति कटिबद्धता सुनिश्‍चित करना।

Ø

Ø     एनएलएसए की वेबसाईट का उपयोग तथा उसकी वेब आधारित निगरानी प्रणाली।

Ø

Ø     कानूनी सेवाएं गतिविधियों का सामाजिक लेखा परीक्षण।

Ø

Ø     कानूनी सेवा कार्यक्रमों के संवेदीकरण के लिए न्‍यायिक अकादमी।

Ø



कार्ययोजना में सभी गांवों और गांवों के अलग अलग समूहों के लिए कानूनी

सहायता क्‍लीनिक की स्‍थापना तथा सभी विधि महाविद्यालयों एवं विश्‍वविद्यालों में कानूनी सहायता क्‍लीनिक शुरु करने का प्रावधान हैं। गांवों में इन क्‍लीनिकों को अर्द्ध कानूनी स्‍वयंसेवक चलायेंगे। एनएएलएस ने राष्‍ट्रीय विधिक सेवा प्राधिकरण (कानूनी सहायता क्‍लिनिक) नियमावली, 2011 की अधिसूचना जारी की और अपनी कानूनी सहायता क्‍लीनिक योजना के समर्थन में उसे भारत गजट में प्रकाशित किया।

     हालांकि राज्‍य विधिक सेवा प्राधिकरण पर राष्‍ट्रीय कार्य योजना को उसके पूर्ण काया में लागू करने के लिए वित्‍तीय और मानवश्रम संबंधी दबाव है, उसके बाद भी इन प्राधिकरणों ने राष्‍ट्रीय कार्य योजना 2011-12 को लागू करने के प्रयास किए।

     पहली अप्रैल, 2011 से 30 सितंबर, 2011 के दौरान 6.95 लाख लोग कानूनी सेवा सहायता से लाभान्वित हुए। उनमें से 25.1 हजार लोग अनुसूचित जाति, 11.5 हजार अनुसूचित जनजाति, 24.6 हजार महिलाएं तथा 1.6 बच्‍चे थे। इस अवधि के दौरान 53,508 लोक अदालतें लगीं। इन लोक अदालतों ने 13.75 लाख मामलों का निस्‍तारण किया। 39.9 हजार मोटर वाहन दुर्घटना दावों के संदर्भ में 420.12 करोड़ रुपए की मुआवजा राशि का फैसला हुआ।

     एनएएलएस ने अपने लक्ष्‍यों को हासिल करने के लिए अप्रैल-दिसंबर, 2011 के दौरान निम्नलिखित कार्यक्रम चलाए-



·        एनएएलएसए के निर्देश पर राज्‍य विधिक सेवा प्राधिकरणों ने पहली मई, 2011 को अंतर्राष्‍ट्रीय श्रम दिवस मनाया। इस अवसर पर मजदूरों के लिए कानूनी साक्षरता, मजदूरों और मनरेगा से संबंधित विवादों के हल के लिए लोक अदालतों का आयोजन, संवदेनशीलता जैसे कार्यक्रम आयोजित किए गए।

·        एनएएलएसए ने लक्षदीप कानूनी सेवा प्राधिकरण तथा लक्षदीप प्रशासन के साथ मिलकर 14-15 मई, 2011 को अगाथी में कानूनी साक्षरता कार्यक्रम आयोजित किया। उच्‍चतम न्‍यायालय के माननीय न्‍यायाधीश और एनएएलएसए के कार्यकारी अध्‍यक्ष न्‍यायमूर्ति श्री अल्तमस कबीर ने उसका उद्घाटन किया।  उसके बाद लोक अदालत का आयोजन किया गया जहां एनएएलएसए के सदस्‍य सचिव एवं कावारत्‍ती के जिला न्‍यायाधीश ने सात मामलों का निस्‍तारण किया जिनमें एक मामला उच्‍च न्‍यायालय के समक्ष लंबित था।

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·        एनएएलएसए के निर्देश पर राज्‍य विधिक सेवा प्राधिकरणों ने पाँच जून, 2011 को विश्‍व पर्यावरण दिवस मनाया।

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·        एनएएलएसए के निर्देश पर राज्‍य विधिक सेवा प्राधिकरणों ने 12 जून, 2011 को बालश्रम विरोध दिवस मनाया। बाल श्रम की समाप्‍ति के लिए कई कार्यक्रम आयोजित किए गए।

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·        राष्‍ट्रीय विधिक सेवा प्राधिकरण ने दिल्‍ली विधिक सेवा प्राधिकरण के साथ मिलकर नयी दिल्‍ली में 9-10 जुलाई, 2011 को विज्ञान भवन में ‘ न्‍याय तक पहुंच: बच्‍चों के लिए इसका क्या तात्‍पर्य है। ’ विषय पर एक राष्‍ट्रीय संगोष्‍ठी आयोजित की। उच्‍चतम न्‍यायालय के माननीय न्‍यायाधीश और एनएएलएसए के कार्यकारी अध्‍यक्ष न्‍यायमूर्ति श्री अल्‍तमस कबीर ने संगोष्‍ठी का उद्घाटन किया। दिल्‍ली उच्‍च न्‍यायालय के माननीय मुख्‍य न्‍यायाधीश और दिल्‍ली विधिक सेवा प्राधिकरण के संरक्षण प्रमुख न्‍यायमूर्ति श्री दीपक मिश्रा ने इसकी अध्‍यक्षता की। दिल्‍ली उच्‍च न्‍यायालय के माननीय न्‍यायाधीश और दिल्‍ली विधिक सेवा प्राधिकरण के कार्यकारी अध्‍यक्ष न्‍यायमूर्ति श्री विक्रमजीत सेन ने मुख्‍य संबोधन दिया। उच्‍चतम न्‍यायालय के माननीय न्‍यायाधीश न्‍यायमूर्ति श्री एस एस निज्‍ज्‍र ने भी इसमें हिस्‍सा लिया। राज्‍य विधिक सेवा प्राधिकरणों के माननीय अध्‍यक्ष और सदस्‍य सचिवों, राज्‍य न्‍यायिक अकादमियों के निदेशकों, बाल कल्‍याण समितियों के तीन अध्‍यक्ष और हर राज्‍य से किशोर न्‍यायालय बोर्ड के तीन न्‍यायिक मजिस्‍ट्रेटों ने भी संगोष्‍ठी में भाग लिया।

बाद में एनएएलएसए के दफ्तर में कई बैठकें हुई और किशोर न्‍याय अधिनियम की धारा 41 में संशोधन के लिए एक विधेयक का मसौदा तैयार करने का फैसला किया गया। इसी के साथ ‘विशेष गोद’ पर भी एक विधेयक तैयार करने का निर्णय लिया गया।

·        राष्‍ट्रीय विधिक सेवा प्राधिकरण ने उत्‍तर प्रदेश विधिक सेवा प्राधिकरण के साथ मिलकर नोएडा के एमिटी विश्‍वविद्यालय में 11 सितंबर, 2011 को  ‘  कानूनी सेवा प्राधिकरण अधिनियम, 1987 तथा किशोर न्‍याय तंत्र पर न्‍यायिक अधिकारियों, वकीलों और विधि छात्रों के लिए प्रशिक्षण’ कार्यक्रम का आयोजन किया। उच्‍चतम न्‍यायालय के माननीय न्‍यायाधीश और एनएएलएसए के कार्यकारी अध्‍यक्ष न्‍यायमूर्ति श्री अल्‍तमस कबीर ने इसी न्‍यायालय के माननीय न्‍यायाधीश न्‍यायमूर्ति श्री दीपक मिश्रा (दिल्‍ली उच्‍च न्‍यायालय के तत्‍कालीन मुख्‍य न्‍यायाधीश), इलाहाबाद उच्‍च न्‍यायालय के माननीय न्‍यायाधीश और उत्‍तर प्रदेश विधिक सेवा प्राधिकरण के कार्यकारी अध्‍यक्ष न्‍यायमूर्ति श्री अमिताव लाला, दिल्‍ली उच्‍च न्‍यायालय के माननीय न्‍यायाधीश और दिल्‍ली विधिक सेवा प्राधिकरण के कार्यकारी अध्‍यक्ष न्‍यायमूर्ति श्री ए के सिकरी तथा इलाहाबाद उच्‍च न्‍यायालय के अन्‍य माननीय न्‍यायाधीशों की उपस्‍थिति में इस कार्यक्रम का उद्घाटन किया।

·        एनएएलएसए के निर्देश पर राज्‍य विधिक सेवा प्राधिकरणों ने एक अक्‍टूबर,  2011 को वरिष्‍ठ नागिरक दिवस मनाया। इस अवसर पर समाज कल्‍याण विभाग की मदद से वृद्धों को उनके अधिकारों से तथा उनके लिए चलाए जा रहे कल्याण कारी योजनाओं  से अवगत कराने के लिए कई कार्यक्रम आयोजित किए गए।

·        नयी दिल्‍ली में कंस्‍टीट्यूशन क्‍लब में एक बैठक का आयोजन किया गया जिसका उद्घाटन उच्‍चतम न्‍यायालय के माननीय न्‍यायाधीश और एनएएलएसए के कार्यकारी अध्‍यक्ष श्री अल्‍तमस कबीर ने किया। उच्‍चतम न्‍यायालय के माननीय न्‍यायाधीश और उच्‍चतम न्‍यायालय विधिक सेवा समिति के अध्‍यक्ष श्री दलवीर भंडारी ने विशेष संबोधन दिया। दिल्‍ली उच्‍च न्‍यायालय के कार्यवाहक मुख्‍य माननीय न्‍यायाधीश और दिल्‍ली विधिक सेवा के कार्यकारी अध्‍यक्ष श्री ए के सिकरी ने मुख्‍य संबोधन दिया। दिल्‍ली उच्‍च न्‍यायालय और अधीनस्‍थ न्‍यायालयों के माननीय न्‍यायाधीशों,  पैनल के वकीलों तथा विधि छात्रों ने इसमें हिस्‍सा लिया।

·एनएएलएसए के निर्देश पर राज्‍य विधिक सेवा प्राधिकरणों ने 9 नवंबर, 2011 को राष्‍ट्रीय विधिक सेवा दिवस मनाया। राज्‍य, उच्‍च न्‍यायालय तथा जिला एवं तालुक स्‍तर पर विभिन्‍न कार्यक्रम आयोजित किए गए।

·एनएएलएसए ने लोगों तक पहुंचने के लिए नौ नवंबर, 2011 को क्षेत्रीय भाषाओं के अखबारों में विज्ञापन सामग्री डाली गयी।

·        बच्‍चों के अधिकारों पर बल देने और उनके संरक्षण के लिए एनएएलएसए ने राज्‍य विधिक सेवा प्राधिकरणों को 14 नवंबर, 2011 को बाल दिवस मनाने का निर्देश दिया और कहा कि समाज के हाशिये पर रहने वाले बच्‍चों के लिए उपयुक्‍त कार्यक्रम आयोजित किए जाएं।

·        एनएएलएसए ने दिल्‍ली उच्‍च न्‍यायालय, दिल्‍ली विधिक सेवा प्राधिरकण, तथा दिल्‍ली परिवार नयायालय के साथ मिलकर दिल्‍ली उच्‍च नयायालय के प्रांगण में 14 नवंबर, 2011 को बाल दिवस मनाया। उच्‍चतम न्‍यायलाय के माननीय न्‍यायाधीश और राष्‍ट्रीय विधिक सेवा के कार्यकारी अध्‍यक्ष श्री अल्‍तमस कबीर, उच्‍चतम न्‍यायालय के माननीय न्‍यायाधीश न्‍यायमूर्ति श्री दीपक मिश्रा, दिल्‍ली उच्‍च न्‍यायालय के माननीय मुख्‍य कार्यवाहक न्‍यायाधीश श्री ए के सिकरी और अन्‍य माननीय न्‍यायाधीश, अधीनस्‍थ न्यायपालिका के  न्‍यायाधीश ने इस समारोह में शामिल हुए। बच्‍चों ने माननीय न्‍यायाधीशों से बातचीत की।

·        एनएएलएसए नगालैंड विधिक सेवा प्राधिकरण के साथ मिलकर 3-4 दिसंबर, 2011 को दीमापुर और कोहिमा में ‘ नगालैंड में न्‍याय तक पहुंच: विधिक सेवा प्राधिकरण की भूमिका’ एक संगोष्‍ठी आयोजित की। उच्‍चतम न्‍यायालय के माननीय न्‍यायाधीश और राष्‍ट्रीय विधिक सेवा के कार्यकारी अध्‍यक्ष श्री अल्‍तमस कबीर ने इसका उद्घाटन किया।

·        एनएएलएसए ने भोपाल में राष्‍ट्रीय न्‍यायिक अकादमी में राज्‍य विधिक सेवा प्राधिकरणों के सदस्‍य सचिवों के लिए 17-19 दिसंबर, 2011 को एक प्रशिक्षण कार्यक्रम का आयोजन किया। 
 
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