Menu

एन्वॉयरन्मेंटल इंजीनियरिंग बुनियादी तौर पर विज्ञान के सिद्धांतों तथा इंजीनियरिंग की तकनीकों का मिश्रण हैं और इसमेल से उत्पन्न विभिन्न र्विधाओं का प्रयोग पर्यावरण को प्रदूषण से मुक्त करने में किया जाता हैं
पुरी दुनिया में पर्यावरण संकट से निपटने के यह भी एक सच है कि पृथ्वी पर मौजूद मानव समाज द्वारा फैलाए जा रहे विविध प्रकार के प्रदूषण को देखते हुए ये उपाय अपर्याप्त हैं। अभी इस दिशा में बहुत कुछ किया जाना बाकी है। प्रदूषण से संबंधित चिंताओं तथा चुनौतियों का मुकाबला करने के लिए एन्वॉयरन्मेंटल इंजीनियरिंग अर्थात पर्यावरण इंजीनियरिंग का विकास हुआ था। पर्यावरणीय (एन्वॉयरन्मेंटल) संकट के वर्तमान दौर में एन्वॉयरन्मेंटल इंजीनियर्स की मांग बहुत तेजी से बढ़ रही है। आज इस क्षेत्र के युवा प्रोफेशनल्स की मांग देश ही नहीं अपितु विदेश में भी है। इंजीनियरिंग के अलावा पर्यावरण में रुचि रखने वाले युवाओं के लिए यह एक सुनहरा करियर है। नि:संदेह पर्यावरण क्षेत्रों के विशेषज्ञों ने हाल के वर्षों में प्रदूषण नियंत्रण के लिए प्रभावी तकनीकों तथा उपायों का विकास करने में जबरदस्त सफलता हासिल की है। उल्लेखनीय है कि एन्वॉयरन्मेंटल इंजीनियरिंग बुनियादी तौर पर विज्ञान के सिद्धांतों तथा इंजीनियरिंग की तकनीकों का मिश्रण है तथा इस मेल से उत्पन्न विभिन्न विधाओं का व्यावहारिक प्रयोग पर्यावरण को प्रदूषण से मुक्त करने में किया जाता है। इसके अंतर्गत जहां एक ओर फिजिक्स, केमिस्ट्री और बायोलॉजी के अतिरिक्त इकोलॉजी, रेडियोलॉजिकल विज्ञान जैसी शाखाओं से मदद मिलती है, वहीं दूसरी ओर इंजीनियरिंग की मैकेनिकल, सिविल तथा अन्य ब्रांचों की उपयोगिता भी कम नहीं है। आपको यह जानकर आश्चर्य होगा कि इंजीनियरिंग की 70 से अधिक शाखाएं होने के बावजूद केवल 10 प्रमुख इंजीनियरिंग शाखाओं में एडमिशन लेने के लिए होड़ रहती है। ऐसे में भविष्य की संभावनाओं को देखते हुए परंपरागत इंजीनियरिंग शाखाओं का मोह त्यागते हुए एन्वॉयरन्मेंटल इंजीनियरिंग को अपनाना बहुत समझदारी का फैसला हो सकता है। इंजीनियरिंग की इस शाखा में प्रवेश के लिए होड़ की स्थिति न होने के कारण प्रतिष्ठित और नामी संस्थानों में प्रवेश पाना अन्य इंजीनियरिंग शाखाओं की तुलना में कहीं अधिक आसान होगा। देश में यह विधा नई है, इसलिए जॉब्स पाने की संभावनाएं भी कहीं ज्यादा होंगी। विभिन्न संस्थाओं द्वारा इस तरह के कोस शुरू किए जाने पर शिक्षक के तौर पर भी काम करने के प्रचुर अवसर मिल सकते हैं।
एन्वॉयरन्मेंटल इंजीनियरिंग के क्षेत्र में ऐसे लोगों को जाना चाहिए, जिनमें पर्यावरण के प्रति लगाव हो। प्रदूषण से लड़ाई को जो लोग अपनी निजी लड़ाई समझते हों। ऑफिस वर्क से ज्यादा फील्ड में काम करने का जिनमें जज्बा हो। दिन-प्रतिदिन सामने आने वाली चुनौतियों का डटकर मुकाबला करने तथा सफल होने का पूरा आत्मविश्वास हो तथा समूह में काम करने तथा करवाने की विशेषता भी हो। विज्ञान तथा इंजीनियरिंग में रुचि होना भी इस पेशे की एक अनिवार्य शर्त है।
देश की कई यूनिवर्सिटीज में एन्वॉयरन्मेंटल इंजीनियरिंग पर आधारित कई तरह के कोर्सेज संचालित किए जा रहे हैं। ये बैचलर और मास्टर्स डिग्री के स्तर से लेकर पीएचडी तक हो सकते हैं। सरकारी ही नहीं अपितु निजी क्षेत्र के संस्थान भी ऐसे कोर्सेज संचालित करते हैं। एन्वॉयरन्मेंटल इंजीनियरिंग के कोर्स में प्रवेश परीक्षा के आधार पर एडमिशन दिया जाता है। बारहवीं में गणित विषय समूह के साथ विज्ञान विषयों की पढ़ाई करने वाले विद्यार्थी ही इस प्रवेश परीक्षा में शामिल हो सकते हैं। चार साल की इंजीनियरिंग डिग्री के बाद इस क्षेत्र में एमटेक कर सकते हैं। मेरिट प्राप्त छात्रों के लिए विदेशी यूनिवर्सिटीज से स्कॉलरशिप पर पीएचडी करना भी बहुत ही आसान है। 

एन्वॉयरन्मेंटल इंजीनियर को जो प्रमुख कार्य एवं जिम्मेदारियां दी जाती हैं, वे इस प्रकार हैं
प्रदूषण नियंत्रण एवं पर्यावरण संरक्षण से संबंधित नियमों को तैयार करना तथा समय-समय पर उनमें आवश्यक बदलाव करना। इस तरह के प्रोजेक्ट्स की गुणवत्ता को नियंत्रित करने के लिए सरकारी तथा गैर-सरकारी पर्यावरण सुधार कार्यक्रमों की प्रगति पर नजर रखना। 
औद्योगिक संस्थानों एवं नगर निगम-नगर पालिकाओं के पर्यावरण नियमों के क्रियान्वयन पर आधारित क्रिया कलापों का ऑडिट करना। प्रदूषित स्थलों में सुधार हेतु विभिन्न एजेंसियों को कंसल्टेंसी सर्विस देने जैसे कार्य करना।
पर्यावरण सुरक्षा एवं प्रदूषण संबंधी कानूनी मामलों में पर्यवर्णं से जुड़े प्रोजेक्ट्स/सरक्षण - का से कम लागत पर पूरा करना, जिसमें जल संरक्षण, वायु प्रदूषण नियंत्रण प्रणाली तथा कचरे से ऊर्जा उत्पादन जैसी योजनाएं शामिल होती हैं। भारत में पर्यावरण के संरक्षण के प्रति केंद्र सरकार की गंभीरता का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि देश में काफी समय पहले बाकायदा एक स्वतंत्र मंत्रालय ही पर्यावरण के मामलों एवं चुनौतियों से निपटने के लिए बनाया जा चुका था। इस मंत्रालय और इससे जुड़े विभाग देश भर में फैले हुए हैं। कमोबेश यही स्थिति राज्य स्तर पर भी देखी जा सकती है। इस विशाल नेटवर्क में कई तरह की जॉब्स के अवसर एन्वॉयरन्मेंटल इंजीनियरिंग में दक्ष लोगों के लिए हो सकते हैं। पर्यावरण के प्रति बढ़ती जागरूकता तथा सरकारी स्तर पर बढ़ते खचों को देखते हुए प्राइवेट सेक्टर में भी इस क्षेत्र में काम करने वाली छोटी-बड़ी कंपनियां अब अस्तित्व में आ चुकी हैं। यही नहीं, रिसर्च इंस्टीटयूट, एनजीओ आदि में भी इस तरह के एक्सपट्स की मांग भविष्य में और तेजी से बढ़ने की संभावना है। विदेशों में इस तरह के एक्सपट्स के लिए रोजगार की बेहतरीन संभावनाएं हाल के वर्षों में बहुत तेजी से बढ़ी हैं। इसके पीछे मूल कारण जापान, सिंगापुर, ऑस्ट्रेलिया सरीखे देशों में अत्यंत सख्त पर्यावरण कानूनों का लागू किया जाना है। इनके क्रियान्वयन के लिए बड़े पैमाने पर पर्यावरण विज्ञान या इंजीनियरिंग की शैक्षिक पृष्ठभूमि वाले लोगों को विभिन्न स्तरों पर नियुक्त किया गया है।
  1. आईआईटी, कानपूर (उत्तर प्रदेश )
  2. मोतीलाल नेहरु नेशनल इंस्टिट्यूट ऑफ़ टेक्नोलॉजी इलाहाबाद 
  3. डी.वाय. पाटिल कॉलेज ऑफ इंजीनियरिंग,पुणे 
  4. वालचद कॉलेज ऑफ इंजीनियरिंग, सतारा 
  5. पीएसई कॉलेज ऑफ इंजीनियरिंग औरंगाबाद
  6. गुरु गोविंद सिंह इन्द्रप्रस्थ नई दिल्ली 
  7. राजस्थान टेक्निकल यूनिवर्सिटी, कोटा (राजस्थान)
  8. संत गाडणे बाबा अमरावती विश्वविद्यालय, अमरावती  
  9. मौलाना आजाद नेशनल इंस्टीटयूट टेक्नोलॉजी, भोपाल (मध्य प्रदेश)


0 comments:

Post a Comment

 
Top