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जॉन नेपियर का जन्म 1 फरवरी, 1550 को एडिनबर्ग शहर में हुआ था। इन्हें लघुगुणक और नेपियर रॉड का जन्मदाता कहा जाता है। नेपियर काफी धनी घर में पैदा हुए थे। अतः उनके घर ढेर सारे नौकर भी काम करते थे और उनमें से कुछ नौकर घर के बहुमूल्य वस्तुओं पर कभी कभार हाथ भी फेर लेते थे। चोरों को पकड़ने के लिए नेपियर अपने मुर्गे का प्रयोग करते थे। पहले वो एक - एक कर सभी नौकरों से चोरी हुई वस्तु के बारे में पूछते और उन्हें जिसपर शक होता उन्हें एक कमरे में अपने मुर्गे के साथ यह कह कर बंद कर देते कि उनका मुर्गा जादुई है और । असली चोर के हाथ में मुर्गा एक निशान छोड़ देगा जिससे उन्हें असली चोर को पकड़ने में
मदद मिलेगी। वे अपने मुर्गे के पंखों पर कमरे में डालने के पहले रंग लगा देते थे। बंद कमरे में । मुर्गा घबराकर सभी नौकरों पर हमला करता था। और इससे बचने के लिए नौकर मुर्गे को पकड़ने का प्रयास करते थे और इसी क्रम में उनके हाथ पर रंग लग जाता था। कहते हैं न - चोर की दाढ़ी में तिनका और होता भी यही था असली चोर मुर्गे को पकड़ने का प्रयास ही नहीं करता कि उसके शरीर पर कोई रंग न लग जाये। कुछ देर बाद । नेपियर कमरे का दरवाजा खोलते और एक- एक सभी नौकरों का हाथ देखते जिनके हाथ पर कोई निशान नहीं होता वो उस असली चोर को पकड़ कर पुलिस के हवाले कर देते।

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