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How to Start Career with Advocate to Supreme Court Judge

जब जब अधिकारों का हनन होता है तो या लोग कानून का सहारा लेते हैं। लोकतान्त्रिक व्यवस्था में स्थापित कानून के प्रावधानों के तहत न्याय पाने की दिशा में एडवोकेटस महत्वपर्ण भमिका निभाते है। आज अगर देश में किसी संस्था पर लोगों का सबसे अधिक भरोसा है, तो वह कोर्ट ही है चाहे वह सुप्रीम कोर्ट हो या फिर जिला स्तर पर सेशन कोर्ट या फिर विशेष न्यायालय। हर तरह के विवाद में कोर्ट आखिरी उम्मीद होने के कारण ही सामान्य नागरिकों से लेकर कंपनियां और राजनीति दल तक इसकी शरण लेते और राहत पाते दिखते है। कोर्ट के इस महत्व के कारण हाल के वर्षों में लॉ प्रोफशन के प्रति युवाओ का रूझान तेजी से बढ़ा है। खास बात यह है कि इस फील्ड में अब सिर्फ कोर्ट में ही नही बल्कि लॉ फर्स/कॉपरिट कंपनियों में भी नाम और पैसे कमाने के खूब अवसर है। देश के जाने-माने वकील राम जेठमलानी, फली नरीमन, केके वेणुगोपाल सुब्रमण्यम, सोली सोराबजी आदि के किसी मुकदमें की एक सुनवाई में हिस्सा लेने की फीस करीब दस लाख से लेकर 25 लाख रूपये तक होती है। इस प्रोफेशन का बढ़ता आकर्षण ही है कि आज देश में करीब 7500 लॉ कॉलेज और 400 यूनिवर्सिटीज अपने यहां लॉ प्रोग्राम ऑफर कर रही हैं, जहाँ से करीब ढाई लाख स्टूडेंट हर साल वकालत की डिग्री लेकर निकल रहे हैं। राष्ट्रीय स्तर पर आयोजित होने वाले ‘क्लैट' यानी कॉमन लॉ एडमिशन टेस्ट ने इसकी प्रतिष्ठा और बढ़ाई है।
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नये क्षेत्रों का हो रहा है जुड़ाव 
हाल के वर्षों में हैकिंग की बढ़ती घटनाओं से इसमें साइबर लॉ, इंटेलेक्चुअल प्रॉपर्टी राइट्स कंपनी लॉ, पेटेंट लॉ जैसे नये और चुनौतीपूर्ण क्षेत्रों के जुड़ जाने से इसका आकर्षण और बढ़ गया है। पिछले वर्ष 1 जुलाई से लागू जीएसटी (गुड्स ऐंड सर्विस टैक्स) के बाद इससे जुड़े कानूनी पहलुओ को लेकर सामने आने वाले विवादों से निपटने के लिए भी इसके जानकार वकीलों की बड़ी संख्या में जरूरत बढ़ गई है।

सम्भावनायें हैं अनेक
जज के रूप में: लॉ की डिग्री लेने के बाद अगर न्यायाधीश बनने की इच्छा रखते है, तो आपको राज्य सेवा आयोग द्वारा आयोजित होने वाली पीसीएस-जे परीक्षा क्वालिफाई करनी होगी। इसके आधार पर शुरुआत में आपको जिला/सत्र न्यायाधीश के रूप में नियुक्त किया जाता है। अगर 10 से 15 साल का वकालत का अनुभव है और उम्र सीमा 40 साल के लगभग है, तो हायर जुडिशियल सर्विस (एचजेएस) एग्जाम में भाग लेकर हाईकोर्ट में एडिशनल जज बन सकते हैं। सेशन कोर्ट का अनुभव हासिल कर लगातार अच्छा प्रदर्शन करने पर भी उच्च न्यायालय के जज के रूप में अनुशंसित किए जा सकते हैं। इसी तरह अनुभव और वरिष्ठता के आधार पर सर्वोच्च न्यायालय में भी न्यायाधीश को विभिन्न न्यायाधिकरणों/आयोगों/विशेष अदालतों आदि (जैसे-राष्ट्रीय हरित न्यायाधिकरण यानी एनजीटी, राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग) का अध्यक्ष भी बनाया जा सकता है।

वकील के रूप में:- जिला न्यायालय से लेकर सुप्रीम कोर्ट तक सरकारी पक्ष की ओर से किसी केस की पैरवी के लिए स्थायी रूप नए सरकारी वकीलों की नियुक्ति की जाती है।

आमतौर पर इनकी नियुक्ति राज्य/संघ लोक सेवा आयोग के माध्यम से की जाती है। शासन-प्रशासन की तरफ से केसों की पैरवी करने के लिए हर जिले में जिला अभियोजन अधिकारी होते हैं, जिनकी नियुक्ति राज्य लोक सेवा आयोग के जरिए होती है। एपीओ एग्जाम क्लियर करके कोर्ट में सहायक लोक अभियोजक यानी सरकारी वकील बन सकते है।

योग्यता advocate career in india
जज या वकील के रूप में करियर को आगे बढ़ाने के लिए किसी मान्यता प्राप्त संस्थान से लॉ ग्रेजुएट होना न्यूनतम योग्यता है। इसके लिए ग्रेजुएशन के बाद किसी विश्वविद्यालय या लॉ कालेज से 3 साल का एलएलबी (बैचलर ऑफ लॉ) या फिर सीधे बारहवीं के बाद ही 5 साल का लॉ कोर्स किया जा सकता है।

ऐसे करें शुरूआत LAW Careers in India
लॉ में ग्रेजुएशन करने के बाद अगर कोर्ट में प्रैक्टिस करना चाहते हैं, तो इसके लिए बार काउंसिल ऑफ इंडिया में एक वकील के रूप में रजिस्ट्रेशन कराना होगा। करियर शुरू करने से पहले किसी सीनियर एडवोकेट या जज के अंडर में इंटर्नशिप करना फायदेमंद हो सकता है।

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