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इलेक्ट्रॉनिक्स के क्षेत्र में तीव्र विकास ने | संचार के ऐसे नए उपकरणों का विकास किया है जिनका उपयोग करके हम दुनिया में एक स्थान से दूसरे स्थान पर संचार कर सकते हैं। नेटवर्क प्रणाली का उपयोग करके एक स्थान से दूसरे स्थान पर सूचना भेज सकते | हैं। प्रभावी अभिव्यक्ति के लिए यह जरूरी है। कि हम अपने आस-पास विभिन्न शारीरिक पैरामीटरों से सूचना प्राप्त करें। इसके लिए प्रकृति ने हमें विभिन्न ज्ञानेंद्रियां प्रदान की हैं, जिनके माध्यम से हम विभिन्न सूचनाएं प्राप्त करते हैं। यदि इनमें से कोई भी ज्ञानेंद्रिय अक्षम - प्रभावित होती है, तो प्रभावी अभिव्यक्ति के | संचार में कठिनाई उत्पन्न हो जाती है। संवाद, | अभिव्यक्ति के लिए उपयोग में लाई जाने
वाली एक अत्यधिक सामान्य पद्धति है। | विचारों को अभिव्यक्त करने के लिए हम जिस अभिव्यक्ति साधन का इस्तेमाल करते हैं। वह संवाद ही है। संवाद को ग्रहण करने मेंउपकरण का विकाश करना प्रारम्भ किया जिसे हम हियरिंग एड कहते हैं
Hear and Technology में बनाये अपना करियर


हियरिंग एड एक ऐसा उपकरण होता है, जो किसी श्रवण बाधित व्यक्ति को ध्वनि बेहतर ढंग से सुनने में सहायता प्रदान करता है। काफी समय पहले बड़े सींग अथवा भोंपू जैसे श्रवण उपकरण होते थे, जिनका एक पतला सिरा श्रवण बाधित व्यक्ति अपने कान के पास रखता था और मोटा सिरा बोलने वाले व्यक्ति के पास होता था। वर्तमान समय में हियरिंग एड में बैटरी, माइक्रोफोन, ट्रांजिस्टर तथा चिप्स लगे होते हैं, जो ध्वनि को तेज करते हैं और सुनने वाले व्यक्ति के कानों तक यह परिवर्तित ध्वनि पहुंचाते हैं। 1950 के दशक में ट्रांजिस्टर के आविष्कार ने हियरिंग एड प्रौद्योगिकी को पूरी तरह से बदल दिया। ट्रांजिस्टर साधारणतः ऑन एवं ऑफ घटकों वाला एक स्विच होता है। कई ट्रांजिस्टरों को मिलाकर ऑन ऑफ स्विचों के और युग्मक बनाए गए, जिससे उनके कार्यों की संख्या में वृद्धि हुई। वास्तव में इन ट्रांजिस्टरों को ट्रांजिस्टर रेडियो में इस्तेमाल में लाए जाने से दो वर्ष पहले तक हियरिंग एड में प्रयोग में लाया जाता था। सिलिकॉन से ट्रांजिस्टर बनाने से हियरिंग एड का आकार बहुत छोटा करने में सहायता मिली। ट्रांजिस्टरों की सहायता से पहले ये बॉडी एड बने और इसके बाद कान के पीछे लगाए जाने, कान के अंदर और अंततः कान की नली में लगाए जाने वाले उपकरण बने।
आपको यह जानकर आश्चर्य होगा कि देश में दस लाख से भी अधिक लोग हियरिंग एड का उपयोग करते हैं। ऐसी संभावना व्यक्त की जा रही है कि हियरिंग एड इंडस्ट्री में विकास दर | 7 प्रतिशत प्रतिवर्ष की दर से बढ़ेगी।1995 तक डिजिटल हियरिंग एड प्रौद्योगिकी उपयोग में रही।

प्रयोक्ता की जीवन शैली जैसे घरों के लिए सॉफ्ट एम्प्लीफिकेशन, होटल में ध्वनि के लक्षित एम्प्लीफिकेशन तथा खेल के मैदान पर हवा की कम ध्वनि तथा ऐसे ही अन्य उपयोगों के अनुरूप ढाले जा सकते थे। वर्तमान में हियरिंग एड अब तक के सबसे छोटे, हल्के एवं बहुत शक्तिशाली उपकरण हैं। इन्हें बदलते हुए परिवेश के अनुरूप आसानी से अपनाया जा सकता है। नवीनतम हियरिंग एड बिना किसी तार के टेलीफोन, टेलीविजन, स्टीरियो और कंप्यूटरों से ध्वनि निरंतर प्राप्त कर सकते हैं। आधुनिक हियरिंग एड पर माइक्रोस्कोपिक प्रोटेक्टिव कवच लगे होते हैं, जो उनके मैंटीनेंस में कमी लाते हैं और उनके जीवन को बढ़ाते हैं। बाजार में हियरिंग एड की वर्तमान लागत इनमें अपनाई गई प्रौद्योगिकी की प्रकृति के आधार पर हजारों रुपये से लेकर लाखों रुपये तक है।

वर्तमान समय में हियरिंग एड अधिक महंगे हो गए हैं और ऐसी परिष्कृत इलेक्ट्रॉनिकी पर आश्रित हो गए हैं जिसे प्रायः रिपेयर एवं सर्विस की आवश्यकता पड़ती है। कुल मिलाकर कहें तो हियरिंग एड रिपेयरिंग का एक नया क्षेत्र उभर रहा है और इस क्षेत्र का बड़ी तेजी से विकास हो रहा है। आप चाहें तो इस क्षेत्र में चमकीला करियर बना सकते हैं। हियरिंग एड रिपेयर का कार्य प्रारंभ करने के लिए इसका प्रशिक्षण प्राप्त करना जरूरी होता है।

जरूरी योग्यताएं

इस क्षेत्र में करियर बनाने के इच्छुक उम्मीदवार को इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों, उनकी संरचना तथा कार्य सिद्धांत, विशेष रूप से एम्प्लीफायर से संबंधित उपकरणों का बेसिक ज्ञान होना चाहिए। उन्हें सर्किट में सिग्नल फ्लो की जानकारी भी होनी चाहिए और वरीयतः उन्हें प्रिंटेड सर्किट बोडर्स का पता होना चाहिए। उन्हें हियरिंग एड की रिपेयरिंग में प्रयुक्त होने वाले मल्टीमीटर एवं विभिन्न औजारों जैसे सोल्डरिंग गन आदि के उपयोग एवं कार्य पद्धति की भी जानकारी होनी चाहिए। इन सबसे अधिक हियरिंग एड प्रेक्टिशनर में कुछ निजी व्यक्तिगत विशेषताएं जैसे हाथ, आंख का समन्वय, धैर्य तथा | आत्मानुशासन आदि होना पहली जरूरत है।
 
इस क्षेत्र में सेवाओं का अभाव होने के कारण भारत में हियरिंग एड का प्रयोग करने वाले अधिकांश | व्यक्ति, विशेष रूप से स्कूली बच्चे, ग्रामीण जनता एवं श्रवण बाधा से ग्रस्त महिलाएं या तो बड़ी संख्याNमें हियरिंग एड का उपयोग नहीं करती हैं या कम | उपयोग करती हैं। इसलिए इस क्षेत्र में रोजगार की व्यापक संभावनाएं हैं। इस क्षेत्र में कुशल व्यक्ति | अपनी निजी हियरिंग एड रिपेयर प्रयोगशाला चला | सकता है। ऐसी प्रयोगशाला के लिए छोटे क्षेत्र और केवल छह से दस हजार रु. के न्यूनतम निवेश की आवश्यकता होती है। इस क्षेत्र की तरफ युवाओं का ध्यान कम जाता है इसलिए इस क्षेत्र में प्रशिक्षित | एक्सपर्ट की बहुत भारी कमी है।


चूंकि इस क्षेत्र में संभावना व्यापक है, इसलिए | हियरिंग एड तकनीशियन कई हियरिंग एड कंपनियों | के साथ सर्विस इंजीनियरों के रूप में भी कार्य कर सकते हैं, जहां उनके लिए अवसर असीमित हैं। वे इंजीनियरों तथा अनुसंधान एवं विकास कार्य में | अनुसंधानकर्ताओं की सहायता कर सकते हैं। वे स्पीच तथा हियरिंग से जुड़े कॉलेजों एवं शैक्षिक संस्थानों में शिक्षक अथवा प्रयोगशाला सहायक के रूप में कार्य कर सकते हैं। हियरिंग एड प्रयोक्ताओं | के लिए सेवाओं में सुधार लाने के लिए कुछ राज्य सरकारों ने अपने सभी जिलों में जिला पुनर्वास केंद्र  खोले हैं जहां इन हियरिंग एड तकनीशियनों को | रोजगार पर रखा जाता है। वे विदेश में भी अवसर तलाश सकते हैं। इस तरह हियरिंग एड तकनीशियनों | के लिए देश में ही नहीं अपितु विदेशों में भी रोजगार के चमकीले अवसर हैं।

शैक्षणिक योग्यता
हियरिंग एड प्रौद्योगिकी के संस्थानों द्वारा चलाए जाने | वाले विभिन्न डिप्लोमा पाठ्यक्रमों में प्रवेश उन उम्मीदवारों के लिए खुला है, जो बारहवीं कक्षा | भौतिकी की पृष्ठभूमि के साथ उत्तीर्ण हैं अथवा इलेक्ट्रॉनिकी वैद्युत में कोई डिप्लोमा रखते हैं या आईटीआई इलेक्ट्रॉनिकी/वैद्युत का कोर्स कर चुके हैं। ऑल इंडिया इंस्टीट्यूट ऑफ स्पीच एंड हियरिंग | आदि संस्थानों में यह पाठ्यक्रम चलता है।

ऑल इंडिया इंस्टीट्यूट ऑफ स्पीच एंड हियरिंग (एआईआईएसएच), मैसूर ।
www.alishmysore.com ।
नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ स्पीच एंड हियरिंग (एनआईएसएच), करमिनाल, त्रिवेंद्रम।
www.nish.ac.in ।
भारतीय पुनर्वास परिषद, नई दिल्ली। www.rehabcouncil.nic.in

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