बायोमेडिकल इंजीनियरिंग एक मल्टी डिसिप्लिनरी (Multi Disciplinary) विषय है, जिसमें आधारभूत चिकित्सा ज्ञान के साथ-साथ शारीरिक संरचना का इस तरह अध्ययन किया जाता है, ताकि मानव शरीर के क्रियाकलापों की अधिक से अधिक जानकारी प्राप्त की जा सके। यकीनन बायोमेडिकल इंजीनियरिंग (Biomedical Engineering) ऐसा करियर (Career) क्षेत्र है, जिसमें समाज सेवा के साथसाथ बेहतर आय की संभावनाएं भी हैं। वास्तव में बायोमेडिकल इंजीनियर अपनी दक्षता का प्रयोग बायोलॉजी, मेडिसिन, फिजिक्स, गणित, इंजीनियरिंग साइंस और कम्युनिकेशन (Science and Engineering Communications) के क्षेत्र में कर दुनिया को रहने लायक और बेहतर बनाने में कर रहे हैं। वर्तमान में बायोमेडिकल इंजीनियर को विज्ञान, चिकित्सा और गणित के क्षेत्र में समग्र रूप से काम करने के लिए प्रशिक्षित किया जाता है। अपने इस ज्ञान का प्रयोग वह बायोलॉजिकल
और गणित की समस्याओं के समाधान की दिशा में करता है। इस तरह से बायोमेडिकल इंजीनियरिंग के क्षेत्र में करियर मानवता की सही अर्थों में सेवा भी है। बायोमेडिकल इंजीनियरिंग के अंतर्गत निम्मलिखित विधाओं का अध्ययन किया जाता है
क्लिनिकल इंजीनियरिंग (Clinical Engineering)
अस्पतालों में चिकित्सकीय उपकरणों का रिकॉर्ड रखना भी बायोमेडिकल इंजीनियरिंग के दायरे में आता है। बायोटेक्नोलॉजी (Bio Technology)
इसके अंतर्गत खास प्रयोजनों के लिए ऐसे यंत्रों का अध्ययन और विकास किया जाता है जो जीवित अंगों के साथ तारतम्य बैठा सकने में सक्षम हों।
बायोइन्फोरमेटिक्स
मेडिसिन और बायोलॉजी से जुड़े आंकड़ों को जुटाने और उनकी विवेचना करने के लिए जरूरी कंप्यूटर टूल्स का विकास करने से यह क्षेत्र संबंधित है। बायोइन्फोरमेटिक्स अंतर्गत परिश्कृत तकनीक के जरिये जीन निर्धारण की जानकारी भी जुटाई जाती है।
आर्थोपेडिक इंजीनियरिंग (Orthopedic Engineering)
आर्थोपेडिक इंजीनियरिंग के अंतर्गत हड्डियों, जोड़ों तथा मांसपेशियों की कार्यप्रणाली का अध्ययन कर कृत्रिम अंग बनाए जाते हैं।
बायोइंस्ट्रमेंटेशन (Bio instrumentation)
इसके अंतर्गत विभिन्न बीमारियों की पहचान और फिर उपचार के लिए विभिन्न उपकरणों का विकास किया जाता है। इस विधा में पारंगत लोग सीटी स्केनर, सोनोग्राफी मशीन तथा एक्स-रे मशीन जैसे उपकरणों को और उन्नत बनाने की दिशा में कार्य करते हैं।
जिनोमिक्स (genomics)
इसके अंतर्गत जिनोम की मैपिंग, सीक्वेंसिंग का अध्ययन कराया जाता है। सामान्य या बीमार अवस्था में जींस कैसे काम करते हैं, का अध्ययन भी इसमें शामिल है। इसकी बदौलत जांच, पहचान और बीमारी का उपचार भी किया जाता है।
बायोमटेरियल्स
यह क्षेत्र जीवित कोशिकाओं और कृत्रिम पदार्थों से मटेरियल का निर्माण कर बीमार अंग को बदलने से संबंधित है। इस क्षेत्र में वास्तविक अंग की तरह काम करने वाले उपकरण बनाने को तरजीह दी जाती है। इसमें विशेषज्ञ प्रयोगशाला में कोशिकाओं और ऊतकों से अंग विकसित करने में सक्षम होते हैं। बायोमेडिकल इंजीनियरिंग के अंतर्गत बायो मैकेनिक्स, बायो फ्ल्यूड्स, बायो मैटीरियल डिजाइनिंग, आर्टिफिशियल ऑर्गन, कंप्यूटर एंड रोबोटिक इंजीनियरिंग, मेडिकल इमेजिंग, डायग्नोस्टिक टेक्निक, रैगुलेटरी इश्यू और मेडिकल एथिक्स आदि विषयों की भी शिक्षा प्रदान की जाती है। बायोमेडिकल इंजीनियरिंग में स्नातक और स्नातकोत्तर पाठ्यक्रम उपलब्ध हैं। आप संबंधित क्षेत्र में अतिरिक्त डिप्लोमा पाठ्यक्रम भी कर सकते हैं
बायोमेडिकल इंजीनियरिंग के स्नातक स्तर के पाठ्यक्रम में प्रवेश के लिए गणित या बायोलॉजी विषय समूह से कम से कम 55 प्रतिशत अंकों के साथ बारहवीं की परीक्षा उत्तीर्ण होना आवश्यक है। बायोमेडिकल इंजीनियरिंग के स्नातक पाठ्यक्रम में प्रवेश हेतु विद्यार्थियों को प्रवेश परीक्षा पास करनाआवश्यक है जबकि स्नातकोत्तर स्तर पर प्रवेश के लिए उसी कॉलेज या विश्वविद्यालय से उसी विषय में अच्छे अंकों के साथ स्नातक उत्तीर्ण होना चाहिए। तथा दूसरे कॉलेज या विश्वविद्यालय में प्रवेश के लिए प्रवेश परीक्षा भी उत्तीर्ण करना आवश्यक है। बायोमेडिकल इंजीनियरिंग के पाठ्यक्रम में प्रवेश हेतु प्रवेश परीक्षा में सफल होने के लिए दसवीं तक की एनसीईआरटी की पुस्तकों का बखूबी अध्ययन करने के साथ अभ्यर्थी को सामान्य ज्ञान तथा हिन्दी-अंग्रेजी में भी दक्ष होना चाहिए। गणित तथा बायोलॉजी के साथ रसायन तथा भौतिकी की भी पूरी तैयारी करना चाहिए।
बायोमेडिकल इंजीनियरिंग का कोर्स कराने वाले सभी कॉलेज तथा विश्वविद्यालय, मेडिकल रिसर्च सेंटरों, दवा उत्पादन संस्थानों तथा अस्पतालों से सतत संपर्क रखते हैं, जिनमें बायोमेडिकल इंजीनियरिंग के छात्रों को शोधकर्ता तथा सहायक चिकित्सक के रूप में काम करने के अवसर प्राप्त होते हैं। यह कोर्स करने के बाद मेडिकल रिसर्च संस्थान, शासकीय निकाय, हास्पिटल, कृत्रिम अंग बनाने वाले संस्थान तथा अध्यापन के क्षेत्र में करियर के अवसर हैं। विश्व के सबसे बड़े औद्योगिक क्षेत्र यानी हेल्थ केयर इंडस्ट्री को अच्छे मेडिकल इंजीनियर्स की सबसे अधिक तलाश रहती है।
प्रमुख संस्थान
और गणित की समस्याओं के समाधान की दिशा में करता है। इस तरह से बायोमेडिकल इंजीनियरिंग के क्षेत्र में करियर मानवता की सही अर्थों में सेवा भी है। बायोमेडिकल इंजीनियरिंग के अंतर्गत निम्मलिखित विधाओं का अध्ययन किया जाता है
क्लिनिकल इंजीनियरिंग (Clinical Engineering)
अस्पतालों में चिकित्सकीय उपकरणों का रिकॉर्ड रखना भी बायोमेडिकल इंजीनियरिंग के दायरे में आता है। बायोटेक्नोलॉजी (Bio Technology)
इसके अंतर्गत खास प्रयोजनों के लिए ऐसे यंत्रों का अध्ययन और विकास किया जाता है जो जीवित अंगों के साथ तारतम्य बैठा सकने में सक्षम हों।
बायोइन्फोरमेटिक्स
मेडिसिन और बायोलॉजी से जुड़े आंकड़ों को जुटाने और उनकी विवेचना करने के लिए जरूरी कंप्यूटर टूल्स का विकास करने से यह क्षेत्र संबंधित है। बायोइन्फोरमेटिक्स अंतर्गत परिश्कृत तकनीक के जरिये जीन निर्धारण की जानकारी भी जुटाई जाती है।
आर्थोपेडिक इंजीनियरिंग (Orthopedic Engineering)
आर्थोपेडिक इंजीनियरिंग के अंतर्गत हड्डियों, जोड़ों तथा मांसपेशियों की कार्यप्रणाली का अध्ययन कर कृत्रिम अंग बनाए जाते हैं।
बायोइंस्ट्रमेंटेशन (Bio instrumentation)
इसके अंतर्गत विभिन्न बीमारियों की पहचान और फिर उपचार के लिए विभिन्न उपकरणों का विकास किया जाता है। इस विधा में पारंगत लोग सीटी स्केनर, सोनोग्राफी मशीन तथा एक्स-रे मशीन जैसे उपकरणों को और उन्नत बनाने की दिशा में कार्य करते हैं।
जिनोमिक्स (genomics)
इसके अंतर्गत जिनोम की मैपिंग, सीक्वेंसिंग का अध्ययन कराया जाता है। सामान्य या बीमार अवस्था में जींस कैसे काम करते हैं, का अध्ययन भी इसमें शामिल है। इसकी बदौलत जांच, पहचान और बीमारी का उपचार भी किया जाता है।
बायोमटेरियल्स
यह क्षेत्र जीवित कोशिकाओं और कृत्रिम पदार्थों से मटेरियल का निर्माण कर बीमार अंग को बदलने से संबंधित है। इस क्षेत्र में वास्तविक अंग की तरह काम करने वाले उपकरण बनाने को तरजीह दी जाती है। इसमें विशेषज्ञ प्रयोगशाला में कोशिकाओं और ऊतकों से अंग विकसित करने में सक्षम होते हैं। बायोमेडिकल इंजीनियरिंग के अंतर्गत बायो मैकेनिक्स, बायो फ्ल्यूड्स, बायो मैटीरियल डिजाइनिंग, आर्टिफिशियल ऑर्गन, कंप्यूटर एंड रोबोटिक इंजीनियरिंग, मेडिकल इमेजिंग, डायग्नोस्टिक टेक्निक, रैगुलेटरी इश्यू और मेडिकल एथिक्स आदि विषयों की भी शिक्षा प्रदान की जाती है। बायोमेडिकल इंजीनियरिंग में स्नातक और स्नातकोत्तर पाठ्यक्रम उपलब्ध हैं। आप संबंधित क्षेत्र में अतिरिक्त डिप्लोमा पाठ्यक्रम भी कर सकते हैं
बायोमेडिकल इंजीनियरिंग के स्नातक स्तर के पाठ्यक्रम में प्रवेश के लिए गणित या बायोलॉजी विषय समूह से कम से कम 55 प्रतिशत अंकों के साथ बारहवीं की परीक्षा उत्तीर्ण होना आवश्यक है। बायोमेडिकल इंजीनियरिंग के स्नातक पाठ्यक्रम में प्रवेश हेतु विद्यार्थियों को प्रवेश परीक्षा पास करनाआवश्यक है जबकि स्नातकोत्तर स्तर पर प्रवेश के लिए उसी कॉलेज या विश्वविद्यालय से उसी विषय में अच्छे अंकों के साथ स्नातक उत्तीर्ण होना चाहिए। तथा दूसरे कॉलेज या विश्वविद्यालय में प्रवेश के लिए प्रवेश परीक्षा भी उत्तीर्ण करना आवश्यक है। बायोमेडिकल इंजीनियरिंग के पाठ्यक्रम में प्रवेश हेतु प्रवेश परीक्षा में सफल होने के लिए दसवीं तक की एनसीईआरटी की पुस्तकों का बखूबी अध्ययन करने के साथ अभ्यर्थी को सामान्य ज्ञान तथा हिन्दी-अंग्रेजी में भी दक्ष होना चाहिए। गणित तथा बायोलॉजी के साथ रसायन तथा भौतिकी की भी पूरी तैयारी करना चाहिए।
बायोमेडिकल इंजीनियरिंग का कोर्स कराने वाले सभी कॉलेज तथा विश्वविद्यालय, मेडिकल रिसर्च सेंटरों, दवा उत्पादन संस्थानों तथा अस्पतालों से सतत संपर्क रखते हैं, जिनमें बायोमेडिकल इंजीनियरिंग के छात्रों को शोधकर्ता तथा सहायक चिकित्सक के रूप में काम करने के अवसर प्राप्त होते हैं। यह कोर्स करने के बाद मेडिकल रिसर्च संस्थान, शासकीय निकाय, हास्पिटल, कृत्रिम अंग बनाने वाले संस्थान तथा अध्यापन के क्षेत्र में करियर के अवसर हैं। विश्व के सबसे बड़े औद्योगिक क्षेत्र यानी हेल्थ केयर इंडस्ट्री को अच्छे मेडिकल इंजीनियर्स की सबसे अधिक तलाश रहती है।
प्रमुख संस्थान
- ऑल इंडिया इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंस, नई दिल्ली।
- आई.आई.टी., दिल्ली। । डॉ. बी.आर. अम्बेडकर सेंटर ऑफ बायोमेडिकल रिसर्च, दिल्ली विश्वविद्यालय, दिल्ली।
- गुरु जम्बेश्वर यूनिवर्सिटी ऑफ साइंस एंड टेक्नोलॉजी, हिसार (हरियाणा)
- पंजाब टेक्निकल यूनिवर्सिटी, जालंधर (पंजाब)।
छत्तीसगढ़ स्वामी विवेकानंद टेक्निकल यूनिवर्सिटी, भिलाई (छत्तीसगढ़)।
स्कूल ऑफ बायो साइंसेज एंड बायो इंजीनियरिंग, आई.आई.टी., पवई, मुंबई। - आई.आई.टी, कानपुर।
- एमिटी यूनिवर्सिटी, नोएडा।
- इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी, बनारस हिन्दू विश्वविद्यालय, वाराणसी।
जादवपुर विश्वविद्यालय, कोलकाता। - बायोमेडिकल इंस्ट्रूमेंटेशन सेंटर, उस्मानिया विश्वविद्यालय, हैदराबाद।
- सिम्बायोसिस स्कूल ऑफ बायोमेडिकल साइंसेज,
पुणे।।
पद्मश्री डॉडी.वाय.पाटिल विश्वविद्यालय, नवी मुंबई। - कॉलेज ऑफ इंजीनियरिंग एंड टेक्नोलॉजी, बेलगाम।
- मनिपाल इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी, मनिपाल।
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