भारत सरकार आधिकारिक तौरपर संघीय सरकार एवं आम तौरपर केन्द्रीय सरकार के नाम से जानी जाती है। संघीय सरकार के मुख्यतः तीन तीन प्रमुख आधार स्तम्भ कार्यपालिका, विधायिका एवं न्यायपालिका माने गए हैं। इनमें कार्यपालिका लोकतंत्र का प्रमुख आधार स्तम्भ है। इसके बिना देश की परिकल्पना ही नहीं की जा सकती है। संघीय कार्यपालिका के अंतर्गत राष्ट्रपति, उपराष्ट्रपति, प्रधानमंत्री व मंत्रीमंडल आदि आते हैं
राष्ट्रपति
राष्ट्रपति देश का प्रथम नागरिक कहलाता है। यह तीनों सेनाओं थल सेना, वायु सेना व जल सेना का सर्वोच्च कमांडर होता है। राष्ट्र की सभी शक्तियां राष्ट्रपति के पास होती हैं, लेकिन उन शक्तियों का प्रयोग प्रधानमंत्री द्वारा ही किए जाने का प्रावधान रखा गया है। राष्ट्रपति का चुनाव अप्रत्यक्ष रूप से होता है। संसंद के दोनों सदनों के निर्वाचित सदस्य मिलकर राष्ट्रपति का चुनाव करते हैं। राष्ट्रपति का कार्यकाल पाँच वर्ष का होता है।
राष्ट्रपति के अधिकार और शक्तियां
राष्ट्रपति को अनेक अधिकार मिले हुए हैं। राष्ट्रपति राज्यपाल, उच्चतम न्यायालय के न्यायाधीश, प्रधानमंत्री आदि महत्वपूर्ण व्यक्तियों को पद एवं गोपनीयता की शपथ दिलवाते हैं। राष्ट्रपति राज्यसभा हेतु बाहर से ऐसे बारह व्यक्तियों को मनोनीत कर सकता है जो साहित्य, विज्ञान, कला, समाजसेवा आदि विशेष क्षेत्र में पहचान रखते हैं। राष्ट्रपति वित्त आयोग को नियुक्त करता है। राष्ट्रपति के पास मृत्युदण्ड प्राप्त व्यक्ति को क्षमा करने का भी अधिकार है। राष्ट्रपति आपातकालीन स्थिति में देश में अथवा किसी राज्य में राष्ट्रपति शासन लागू कर सकता है। राष्ट्रपति को महाभियोग द्वारा ही हटाया जा सकता है। यह महाभियोग प्रस्ताव संसद के दोनों सदन रखते हैं।
राष्ट्रपति के लिए आवश्यक योग्यताएं
राष्ट्रपति निर्वाचित होने के लिए व्यक्ति में निम्नलिखित योग्यताएं होनी आवश्यक हैं:
1. वह भारत का नागरिक हो।
2. वह 35 वर्ष की आयु पूरी कर चुका हो।
3. वह लोकसभा का सदस्य निर्वाचित होने की योग्यता रखता हो।
4. वह भारत सरकार या किसी राज्य सरकार के अधीन कोई लाभ का पद धारण न किए हुए हो।
उपराष्ट्रपति
उपराष्ट्रपति को पॉंच वर्ष के लिए चुना जाता है। यदि राज्यसभा अपने कुल सदस्यों को बहुमत से उपराष्ट्रपति को हटाने का प्रस्ताव पास कर दे और लोकसभा उस प्रस्ताव को स्वीकार कर ले तो उपराष्ट्रपति को अपने पद से इस्तीफा देना ही पड़ेगा। इस तरह के प्रस्ताव को प्रस्तुत करने के लिए चौदह दिन पूर्व सूचना देनी आवश्यक होती है।
उपराष्ट्रपति के अधिकार व शक्तियां
उपराष्ट्रपति राज्यसभा का पदेन सभापति होता है। राष्ट्रपति की अनुपस्थिति में उपराष्ट्रपति ही राष्ट्रपति के पद को संभालेगा और राष्ट्रपति के पद से संबंधित कार्यों को निपटाएगा। उपराष्ट्रपति राष्ट्रपति के कार्य को अधिक से अधिक छह महीने ही कर सकता है। छह महीने की अवधि के बीच राष्ट्रपति का चुनाव करवाना अनिवार्य होता है।
उपराष्ट्रपति के लिए आवश्यक योग्यताएं
उपराष्ट्रपति पद पर निर्वाचित होने के लिए व्यक्ति में निम्नलिखित योग्यताएं होनी आवश्यक हैं:
1. वह भारत का नागरिक हो।
2. उसकी आयु 35 वर्ष से कम न हो।
3. उसमें राज्यसभा का सदस्य बनने की योग्यता हो।
4. वह भारत सरकार या किसी राज्य सरकार के अधीन कोई लाभ का पद धारण न किए हुए हो।
मंत्रीमण्डल
राष्ट्रपति को उसके दैनिक कार्यों में सहायता व विचार-विमर्श करने के लिए मंत्रीमण्डल की व्यवस्था की जाती है। मंत्रीमण्डल का मुखिया प्रधानमंत्री की सिफारिश पर अन्य मंत्रियों की नियुक्ति करता है। मंत्रीमण्डल के कानून बनाने, सरकारी विधेयकों को संसद में पेश करने, वित्तिय नीति बनाने आदि बहुत से महत्वपूर्ण कार्य होते हैं।
प्रधानमंत्री
प्रधानमंत्री मंत्रीमण्डल का मुखिया होता है। संविधान के अनुसार प्रधानमंत्री राष्ट्रपति का परामर्शदाता होता है। वह मंत्रीमण्डल और राष्ट्रपति के बीच एक कड़ी का काम करता है। वह मंत्रीमण्डल के सभी निर्णयों व प्रस्तावों से राष्ट्रपति को अवगत करवाता है। प्रधानमंत्री अनेक मंत्रालयों की नीतियों का समन्वय भी करता है। प्रधानमंत्री लोकसभा का नेता होता है। राष्ट्रपति प्रधानमंत्री की सिफारिश पर ही लोकसभा भंग करता है। राष्ट्रपति राज्य के उच्च पदों पर नियुक्तियां भी प्रधानमंत्री की सलाह से ही करता
संसद
संसद केन्द्रीय व्यवस्थापिका सभा है। इसके दो सदन हैं- पहला सदन लोकसभा है और दूसरा सदन राज्यसभा है। संसद राष्ट्रपति तथा दोनों सदनों से मिलकर बनती है।
लोकसभा
लोकसभा संसद का सर्वोच सदन है। इसका मुखिया प्रधानमंत्री होता है। देश में लोकसभा सांसदों की अधिकतम संख्या 552 तय की गई है, जिनमें 530 सदस्य राज्यों से, 20 सदस्य केन्द्र शासित प्रदेशों से और 2 राष्ट्रपति द्वारा मनोनीत सदस्य शामिल होते हैं। बहुमत प्राप्त दल के सांसद मिलकर अपना मुखिया चुनते हैं, जोकि प्रधानमंत्री बनता है। प्रधानमंत्री अपना केन्द्रीय मंत्रीमण्डल गठित करता है। प्रधानमंत्री व केन्द्रीय मंत्रियों को राष्ट्रपति शपथ दिलवाता है। लोकसभा के सदस्य मिलकर अपना अध्यक्ष चुनते हैं। लोकसभा का कार्यकाल 5 वर्ष का होता है। राष्ट्रपति इस अवधि से पहले भी भंग कर सकता है।
लोकसभा सदस्य बनने के लिए आवश्यक योग्यताएं
1. वह भारत का नागरिक हो।
2. उसकी आयु 25 वर्ष से कम न हो।
3. भारत सरकार अथवा किसी राज्य सरकार के अन्तर्गत वह किसी लाभ के पद को धारण न किए हो।
4. वह किसी न्यायालय द्वारा पागल न ठहराया गया हो।
5. वह दिवालिया घोषित न किया गया हो।
राज्यसभा
यह भारतीय संसद का ऊपरी सदन है। राज्यसभा के सदस्यों की कुल संख्या 245 है। इनमें से 12 सदस्य राष्ट्रपति द्वारा मनोनीत होते हैं, जो कि साहित्य, कला, विज्ञान, समाजसेवा आदि क्षेत्र के विशेषज्ञ अथवा प्रख्यात व्यक्ति होते हैं। राज्यसभा सदस्यों का चुनाव छह वर्ष के लिए होते हैं। यह स्थायी सदन है। इसके एक-तिहाई सदस्य हर दो वर्ष बाद सेवानिवृत हो जाते हैं। उनके स्थान पर नए सदस्य स्थान ले लेते हैं। भारत के उपराष्ट्रपति राज्यसभा के सभापति होते हैं।
राज्यसभा सदस्य बनने के लिए आवश्यक योग्यताएं:
1. वह भारत का नागरिक हो।
2. उसकी आयु 30 वर्ष से कम न हो।
3. भारत सरकार अथवा किसी राज्य सरकार के अन्तर्गत वह किसी लाभ के पद को धारण किए हुए न हो।
4. वह किसी न्यायालय द्वारा पागल न ठहराया गया हो।
5. वह दिवालिया घोषित न किया गया हो।
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