How to Set Career by Parents अपने बच्चो का ऐसे बनाये भविष्य - Career Planning for Children
यदि हम कोई घर बनवाते है तो इंजीनियर, आर्किटेक्ट, वास्तुशास्त्री से सलाह लेते हैं। इतना ही नहीं, छुट्टियों में 10-15 दिनों तक घूमने अथवा घर से कहीं बाहर जाने के लिए भी प्लान बनाते हैं। घर से निकलने से पूर्व ट्रेन में रिजर्वेशन की तिथि, रुकने के लिए होटल का प्रबंध, घूमने के लिए वाहन का प्रबंध, खाने-पीने और खरीदारी
इत्यादि सभी की प्लानिंग और शेड्यूल अच्छी तरह से बनाते हैं। हमारे अधिकांश कार्य सुव्यवस्थित योजना से संचालित होते है। लेकिन जरा सोचिए! जिस करियर रूपी पथ पर पूरी जिंदगी की गाड़ी को चलानी है। उसके प्रति अनिश्चितता, अव्यवस्था, भ्रामकता क्यों? आजकल अभिभावकों और बच्चों के पास न ही भविष्य के लिए कोई करियर की प्लानिंग होती है, न ही कोई सुव्यवस्थित योजना अथवा सोच। सभी भेड़-चाल में चलते जा रहे हैं। बिना कुछ सोचे-समझे, दूसरों की देखा-देखी।
इत्यादि सभी की प्लानिंग और शेड्यूल अच्छी तरह से बनाते हैं। हमारे अधिकांश कार्य सुव्यवस्थित योजना से संचालित होते है। लेकिन जरा सोचिए! जिस करियर रूपी पथ पर पूरी जिंदगी की गाड़ी को चलानी है। उसके प्रति अनिश्चितता, अव्यवस्था, भ्रामकता क्यों? आजकल अभिभावकों और बच्चों के पास न ही भविष्य के लिए कोई करियर की प्लानिंग होती है, न ही कोई सुव्यवस्थित योजना अथवा सोच। सभी भेड़-चाल में चलते जा रहे हैं। बिना कुछ सोचे-समझे, दूसरों की देखा-देखी।
अनिश्चित और अनिर्धारित लक्ष्य की प्राप्ति हेतु जिन्दगी के महत्वपूर्ण समय को बर्बाद कर रहे हैं। बढ़ती जनसंख्या और प्रतिस्पर्धा के बीच वर्तमान समय में शिक्षा को नौकरी प्राप्त करने का साधन मात्र माना जा रहा है। जबकि वास्तव में शिक्षा मनुष्य में अंतर्निहित शक्तियों का सर्वोत्तम प्रकटीकरण एवं सर्वांगीण विकास करती है। बच्चे और अभिभावक बगैर किसी प्लानिंग के, स्वयं की क्षमता व योग्यता का परीक्षण किये बिना एक ढरें से पढ़ाई करते जाते हैं। हाई स्कूल के बाद ज्यादातर बच्चों और अभिभावकों का सपना डॉक्टर अथवा इंजीनियर बनने का होता है। जिसमें से कुछ बच्चे तो डॉक्टर या इंजीनियर की डिग्री हासिल कर लेते हैं, लेकिन
जो बच्चे डॉक्टर और इंजीनियर नहीं बन पाते हैं। वह बिना कुछ सोचे-समझे दूसरों की नकल अथवा किसी की सलाह से स्नातक कर बेरोजगारी की अंधी दौड़ में शामिल हो जाते है।
क्षमताओं का आकलन
प्रत्येक बच्चा स्वयं में विशिष्ट होता है। उसकी क्षमताएं और योग्यताएं दूसरे बच्चों से भिन्न होती है। अभिभावकों को यह बात समझते हुए बच्चे की क्षमताओं का आकलन कर करियर के क्षेत्र का निर्धारण करना चाहिए। यदि सचिन तेंदुलकर के अभिभावक उन्हें डॉक्टर या इंजीनियर बनाने का प्रयास करते तो सोचिये क्या होता? बच्चों के अंतर्निहित शक्तियों, क्षमताओं और योग्यताओं के सर्वोत्तम सदुपयोग हेतु मनोवैज्ञानिक परीक्षण कर विशिष्ट क्षेत्र का निर्धारण आवश्यक है।
रुचिकर क्षेत्र का चुनाव
अभिभावकों और बच्चों को स्कूल स्तर पर ही करियर के प्रति सतर्क व सजग हो जाना चाहिए। बच्चे की क्षमताओं और योग्यता के आधार पर उपलब्ध समस्त करियर विकल्पों का अध्ययन किया जाना चाहिए। डॉक्टर या इंजीनियर के अतिरिक्त अनेकों आकर्षक करियर विकल्प उपलब्ध हैं। करियर विकल्प का चयन बच्चे की रुचि, शैक्षिक क्षमता व योग्यता के आधार पर होना चाहिए। पढाई में मन न लगना, अथवा प्रयास के अनुरुप सफलता न प्राप्त होना, आज अधिकांश बच्चों की आम समस्या बन गयी है। इसका एकमात्र कारण रुचि के अनुरुप करियर का चुनाव न होना। यदि बच्चा स्वयं की रुचि और अंतर्निहित शक्तियों, क्षमताओं और योग्यताओं के अनुरुप क्षेत्र का चुनाव करेगा, तो वह अपना सर्वोत्तम प्रयास करेगा और उसे सफलता अवश्य प्राप्त होगी।
लक्ष्य का निर्धारण
जीवन में सफलता हेतु आवश्यक है सही लक्ष्य का निर्धारण होना। किसी कारण से गलत लक्ष्य का निर्धारण अथवा लक्ष्य की अनिश्चितता दोनों ही खतरनाक होती है। वह पूरे जीवन को बर्बाद कर सकती है।
कई बार बच्चे दूसरों की सफलता और क्षेत्र विशेष के आकर्षण (जैसे- किक्रेट या अन्य खेल अथवा फिल्म इंडस्ट्री इत्यादि) से प्रेरित होकर लक्ष्य निर्धारित करते हैं, जो कि छात्र विशेष की प्रकृति के अनुकूल नहीं होता है। इसीलिए लक्ष्य निर्धारण के समय क्षेत्र विशेष में उपलब्ध प्रतिस्पर्धा एवं सफलता दर और अन्य संभावित कारकों का अध्ययन करना आवश्यक है। समस्त पहलुओं और कारकों का अध्ययन करने के पश्चात अत्यन्त सावधानीपूर्वक | लक्ष्य का निर्धारण करना चाहिए। लक्ष्य निर्धारण के पश्चात छात्रों को उक्त क्षेत्र विशिष्ट में अपना सर्वोत्तम प्रयास करना चाहिए। बार-बार लक्ष्य बदलने की प्रवृत्ति से बचना चाहिए।
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